IPS अविनाश पांडे ने महिला के आरोपों के बाद लिया सख्त एक्शन, हज़ारा थाने के निरीक्षक प्रकाश सिंह हटाए गए
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अविनाश पांडे ने हज़ारा थाने के प्रभारी निरीक्षक प्रकाश सिंह को महिला की शिकायतों की जांच के बाद हटा दिया है। उनके स्थान पर करीली थाने के प्रभारी सिद्धार्थ उपाध्याय को हज़ारा थाने का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है। यह कार्रवाई तब हुई जब हाल ही में हज़ारा थाने के निरीक्षक पर एक महिला ग्राम प्रधान के पति के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा था। इस आरोप के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और उच्चाधिकारियों तक पहुंच गया, जिसके बाद एसपी ने तत्काल कार्रवाई की।
महिला ग्राम प्रधान के पति से दुर्व्यवहार का आरोप
मामला एक ज़मीनी विवाद से जुड़ा हुआ था, जिसमें ग्राम सिंहारा उर्फ तातारगंज की प्रधान के पति सतनाम ने आरोप लगाया कि हज़ारा थाने के प्रभारी निरीक्षक ने उनके साथ थाने में दुर्व्यवहार किया और उन्हें थाने से भगा दिया। सतनाम ने दावा किया कि वह अपने भूमि विवाद के मामले को लेकर थाने गए थे, लेकिन निरीक्षक ने न केवल उनकी बात सुनने से इनकार किया, बल्कि उन्हें अपमानित कर बाहर निकाल दिया। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर भारी आक्रोश पैदा कर दिया और इसके बाद सतनाम ने थाने से बाहर निकलने के बाद एक वीडियो प्रसारित किया जिसमें उन्होंने पुलिसकर्मी पर गंभीर आरोप लगाए। वीडियो में उन्होंने बताया कि थाने में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें धमकी दी गई।
वीडियो वायरल, मामले की जांच शुरू
जैसे ही सतनाम का वीडियो वायरल हुआ, मामला पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडे के संज्ञान में आया। वीडियो में लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए एसपी पांडे ने तत्काल जांच के आदेश दिए। इसके बाद, पुरनपुर के क्षेत्राधिकारी (सीओ) डॉ. प्रतीक दहिया को मामले की जांच का ज़िम्मा सौंपा गया। सीओ डॉ. दहिया ने एसपी के निर्देश पर हज़ारा थाने का दौरा किया और शिकायतकर्ता सतनाम से मुलाकात की। उन्होंने मामले से संबंधित सभी तथ्यों और परिस्थितियों की जांच की, और प्राथमिक रिपोर्ट में थाने के प्रभारी निरीक्षक के खिलाफ लगे आरोपों को गंभीर और विश्वसनीय पाया।
अन्य गंभीर आरोप भी सामने आए
जांच के दौरान यह मामला और भी पेचीदा हो गया जब एक अन्य महिला ने हज़ारा थाने के निरीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए। महिला, जो थाने क्षेत्र की निवासी थी, ने आरोप लगाया कि निरीक्षक ने उसकी गुमशुदा बेटी को खोजने और उसे उसके हवाले करने के एवज में पचास हजार रुपये की मांग की थी। महिला ने आरोप लगाया कि उसने निरीक्षक को पच्चीस हजार रुपये दे दिए थे, लेकिन इसके बाद भी उसकी बेटी को वापस नहीं सौंपा गया। जब उसने इस बारे में और सवाल पूछे, तो निरीक्षक ने उसे धमकाया और कहा कि अगर उसने पैसे नहीं दिए, तो उसे महिला कांस्टेबल से पिटवाया जाएगा और उसे पुलिस वाहन में बैठाकर जबरदस्ती ले जाया जाएगा। इस आरोप ने मामले को और भी गंभीर बना दिया, और पुलिस विभाग पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया।
जांच के बाद निरीक्षक पर कार्रवाई
जांच पूरी होने के बाद, सीओ डॉ. प्रतीक दहिया ने अपनी रिपोर्ट एसपी अविनाश पांडे को सौंपी। रिपोर्ट में निरीक्षक प्रकाश सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही पाया गया और तत्काल कार्रवाई की सिफारिश की गई। इसके बाद एसपी पांडे ने तत्काल प्रभाव से निरीक्षक को हटा दिया और उनके स्थान पर करीली थाने के प्रभारी सिद्धार्थ उपाध्याय को हज़ारा थाने का नया प्रभारी नियुक्त किया।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया और प्रशासन की सख्त कार्रवाई
हज़ारा थाने के निरीक्षक के खिलाफ की गई इस कार्रवाई के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना की। हालांकि, कई लोगों ने यह भी बताया कि इस तरह की घटनाएं अक्सर तब सामने आती हैं जब पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं और आम नागरिकों के साथ अनुचित व्यवहार करते हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि भविष्य में ऐसे मामलों पर नज़र रखी जाए और पुलिस विभाग के भीतर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी नागरिक को न्याय से वंचित न होना पड़े।
एसपी अविनाश पांडे ने इस मामले पर बात करते हुए कहा कि पुलिस का काम कानून और व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार के मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुलिस विभाग अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ करेगा, और इस तरह की घटनाओं को दोहराने से रोकने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
निष्कर्ष
हज़ारा थाने के प्रभारी निरीक्षक प्रकाश सिंह को हटाने की यह घटना पुलिस प्रशासन के भीतर जवाबदेही और अनुशासन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। महिलाओं और नागरिकों के साथ अनुचित व्यवहार की शिकायतें यदि सही पाई जाती हैं, तो वे न केवल पुलिस की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि न्याय प्रणाली में आम लोगों के विश्वास को भी कम करती हैं। एसपी अविनाश पांडे द्वारा उठाए गए सख्त कदम एक महत्वपूर्ण संदेश भेजते हैं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह कोई भी हो। ऐसे मामलों में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
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