बिहार पुलिस का बड़ा एक्शन: उग्रवाद पर कड़ा प्रहार, तीन महीनों में पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य

बिहार पुलिस कानून के शासन को लागू करने के लिए निर्णायक कदम उठा रही है, जिससे राज्य में अपराध और उग्रवाद पर अंकुश लगाने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक सुनियोजित रणनीति को लागू किया गया है, जिसका असर अब तेजी से दिखने लगा है।

विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और जिला पुलिस के संयुक्त प्रयासों से उग्रवादी गतिविधियों को खड़गपुर और छकबरबंधा के पहाड़ी इलाकों में कुछ अलग-थलग इलाकों तक सीमित कर दिया गया है। 1 जनवरी, 2025 से पुलिस ने उग्रवाद और संगठित अपराध को नियंत्रित करने में काफी प्रगति की है।

उग्रवाद को खत्म करने के लिए चल रहे अभियान

बिहार पुलिस केंद्रीय सुरक्षा बलों, एसटीएफ विशेष जांच इकाइयों, ऑपरेशन टीमों और चीता टीमों के सहयोग से उग्रवादी गतिविधियों को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चला रही है। पुलिस का लक्ष्य अगले तीन महीनों के भीतर बचे हुए उग्रवादी तत्वों को पूरी तरह से खत्म करना है।

हाल ही में प्रमुख कमांडरों की गिरफ्तारी और 15 लाख रुपये के इनाम वाले कुख्यात उग्रवादी विवेक यादव की रहस्यमयी मौत जैसे शीर्ष उग्रवादी नेताओं को निशाना बनाकर अधिकारियों ने इन संगठनों को खत्म करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। उग्रवादियों और उनके समर्थकों, जिनमें जमानत पर रिहा हुए लोग भी शामिल हैं, की कड़ी निगरानी की जा रही है।

झारखंड की सीमा से लगे जंगली इलाकों में अंतर-राज्यीय समन्वय प्रयासों से नक्सली समूहों को फिर से संगठित होने और फिर से संगठित होने से रोका जा रहा है। समन्वित प्रयास और तकनीकी प्रगति एसटीएफ और जिला खुफिया इकाइयों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के लिए नियमित मासिक समीक्षा बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और तकनीकी उन्नयन लागू किए गए हैं। तकनीकी सेल डिजिटल प्लेटफॉर्म की निगरानी भी कर रहा है, जिससे जमीनी स्तर पर ऑपरेशन में सहायता के लिए वास्तविक समय पर इनपुट मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की बदौलत बिहार पुलिस आधुनिक तकनीक और संसाधनों से लैस हो गई है। अब केवल अल्पकालिक ऑपरेशन पर ध्यान केंद्रित न करके पुलिस अब अपराध नेटवर्क को उनके मूल में खत्म करने के लिए काम कर रही है।


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